गुमसुम । रोहित कुमार
महकता,महकता सा रहता था मैं फिर..
भटकता भटकता सा रहता हूं मैं आज फिर..
गुम हो गया शायद जो कल था फिर..
में पाना चाहू दोबारा उसे आज फिर..
आएगा वो लम्हा मेरे पास वो फिर..
जाना चाहूं कल था जहाँ मैं आज फिर..
हुआ आज बेचारा-सा दोबारा मैं फिर..
संभालो मुझे आकर मेरे पास आज फिर..
मैं फिर था. . में फिरे हूँ . न रहूँगा मै फिर..
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