अब दिल नहीं कहता | वर्षा धामा

अब दिल नही कहता कि मैं उसके पास जाऊं,
मन करता है ये ज़िंदगी बिन उसके जिये जाऊं,
वो लौटकर न आये मेरे पास अब कभी भी,
कहीं ऐसा न हो कि उसके आने से मैं कमजोर पड़ जाऊं,
मौहब्बत उससे कि थी मैंने हद से ज्यादा,
समझ नही आता कि वो बेवफा है ये बात मैं कैसे खुद को समझाऊं,
रहता था वो ही हर पल "वर्षा" के दिल और दिमाग में,
मगर अब खामोश इतनी हूँ कि उसका नाम लिए बिन ही मर जाऊं......

Comments

Popular posts from this blog

The Fault in our Society : He & They

This is My Life by me | (One Million Provoking Thoughts by Anonymous)